यांत्रिकी
भौतिकी की वह शाखा जिसके अंतर्गत पिंडों पर बल के प्रभाव और इससे उत्पन्न गति के अवयवों का अध्ययन किया जाता है, यांत्रिकी कहलाता है।
यांत्रिकी को मुख्य रूप से दो भागों में विभक्त किया जाता है-
1. पुरातन यांत्रिकी
2. क्वांटम यांत्रिकी
यांत्रिकी का क्षेत्र बहुत ही विस्तृत है, और अनेक महान भौतिकशास्त्री इससे जुड़े हुए हैं जैसे- न्यूटन, हैमिल्टन, आईंन्सटाइन आदि। इसके अंतर्गत गति, बल, उर्जा के संरक्षण, गुरूत्वाकर्षण, अंतरिक्ष के पिण्डों की गति, तन्यता, ध्वनि, यांत्रिक साम्यावस्था, द्रव यांत्रिकी, मृदा यांत्रिकी, जैव यांत्रिकी आदि का अध्ययन किया जाता है।
वेग और त्वरण
इसके अंतर्गत हम वस्तु की विरामावस्था और गत्यावस्था, सादिश राशि, अदिश राशि, विस्थापन, चाल, वेग, स्थानांतरीय गति, घूर्णन गति, त्वरण, मंदन,
न्यूटन के गति के नियम, जड़त्व, संवेग, एवं संवेग संरक्षण के नयमों का अध्ययन करेगे।
वस्तु की विरामावस्था एवं गत्यावस्था
वस्तु की विरामावस्था और गत्यावस्था दोनों ही सापेक्षिक धारणाएँ हैं, अर्थात् कोई वस्तु गतिशील है या नहीं यह पर्यावरण की अन्य वस्तुओं के परिपेक्ष्य में व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, अध्ययन के टेबल पर रखा पानी का गिलास विरामावस्था में कहा जाएगा यदि उसका अवलोकन हम कमरे की अन्य वस्तुओं जैसे दीवार पर चिपके भारत के नक्शे, बिस्तर और किताबों के रैक के सापेक्ष में करें। किंतु यदि हम इसे दूसरे वृहत् दृष्टिकोण से देखें तो यह गतिशील होगा, क्योंकि यह पानी का गिलास पृथ्वी के किसी हिस्से में रखी हुई है और संपूर्ण पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है, अर्थात पृथ्वी के साथ पानी का गिलास भी सूर्य की परिक्रमा कर रहा है।
इसी प्रकार यदि चलती हुई कार मे बैठै किसी व्यक्ति को आप देंखे तो वह व्यक्ति आपको गतिशील प्रतीत होगा, परंतु यदि कार में उसी के साथ बैठे किसी दूसरे व्यक्ति को वह स्थिर प्रतीत होगा।
अतः विरामावस्था एवं गत्यावस्था का अध्ययन हम किसी के सापेक्ष में ही कर सकते हैं।
सदिश राशियाँ
वह राशि जिसका परिमाण एवं दिशा दोनों निश्चित होते हैं, सदिश राशि कहलाता है। उदाहरण- विस्थापन, वेग, बल संवेग, त्वरण आदि सदिश राशियाँ हैं।
अदिश राशियाँ
वे राशियाँ जिनका परिमाण तो निश्चित होता है किंतु दिशा नहीं, वे अदिश राशियाँ कहलाती हैं। उदाहरण- द्रव्यमान, घनत्व, चाल आदि।
दूरी
किसी गतिशील वस्तु द्वारा उसके प्रारंभिक बिंदु से अंतिम बिंदु तक तय किया गयी कुल
लम्बाई दूरी कहलाती है।
विस्थापन
किसी गतिशील वस्तु के प्रारंभिक बिंदु और अंतिम बिंदु के बीच की न्यूनतम दूरी विस्थापन कहलाती है।
दूरी एवं विस्थापन मे अंतर-
दूरी
1. किसी गतिशील वस्तु के दूरी का मान शून्य नहीं हो सकता।;
2. दूरी एक अदिश राशि है।
3.दूरी वस्तु द्वारा तय किए गए रास्ते की कुल लंबाई होती है।
विस्थापन
1. किसी गतिशील वस्तु के विस्थापन का मान शून्य हो सकता है।
2. विस्थापन एक सदिश राशि है ।
3. विस्थापन गतिशील वस्तु के प्रथम एवं अंतिम बिंदु के बीच की न्युनतम दूरी होती है
चाल
एक इकाई समय में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी वस्तु की चाल कहलाती है। चाल एक अदिश राशि होती है, क्यांकि इससे गतिशील वस्तु की दिशा का पता नहीं चलता। चाल की इकाई दूरी/समय होती है।
उदाहरण: यदि कोई वस्तु 3 घंटे में 6 किमी चलता है, तो,
चाल = दूरी/समय
चाल = 6/3 = 2 किमी./घंटा
वेग
एक इकाई समय में गतिशील वस्तु द्वारा किया गया विस्थापन वेग कहलाता है। अर्थात् गतिशील वस्तु इकाई समय में किसी निश्चित दिशा में जो दूरी तय करता है, उसे उस वस्तु का वेग कहा जाता है। चाल के विपरीत वेग एक सदिश राशि है, क्याकि इसमें स्थानान्तरण की दिशा निश्चित में।
वेग के प्रकार-
1. समरूप वेग
जब वस्तु समान समय में समान रूप से विस्थापित होती है तो इसे समरूप वेग कहते हैं। उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति पूर्व से पश्चिम की ओर लगातार 3 घंटे तक चलता है, और प्रत्येक घंटे में वह 2 किमी. की दूरी तय करता है, तो यह समरूप वेग कहलाएगा।
2. परिवर्तनशील वेग
जब वस्तु समान समय में असमान रूप से विस्थापित हो, अर्थात निश्चित दिशा में किन्तु असमान दूरी तय करे, तब इस वेग को परिवर्तनशील वेग कहते हैं।
उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति उत्तर से दक्षिण की ओर लगातार तीन घंटे तक चलता है, लेकिन पहले एक घंटे में वह 4 किमी., दूसरे घंटे मे 2 किमी. और तीसरे घंटे में 1 किमी. की दूरी तय करता है, तो उसका वेग परिवर्तनशील वेग कहलायेगा।
3. सापेक्षिक वेग
किसी एक वस्तु की अपेक्षा दूसरी वस्तु के वेग को सापेक्षिक वेग कहा जाता है। जैसे समांतर पटरियों पर चल रही रेल गाड़ी के यात्रियों को एक-दूसरी का सापेक्षिक वेग दिखेगा।
4. स्थानांतरीय गति
यदि किसी वस्तु के सभी कणों का संचालन एक ही वेग से हो और इनके मार्ग समानान्तर हो तो इसे स्थानांतरीय गति कहा जाता है।
5. घूर्णन गति
किसी नियत दूरी पर घूमने वाली वस्तु की गति को घूर्ण गति कहा जाता है। वस्तु के सभी कण एक ही वेग से नहीं घूमते हैं। धूरी के निकटतम कण कम और दूरस्थ कण अधिक गति से घूमते हैं।
त्वरण
वेग में वृद्धि की दर को त्वरण कहा जाता है। यदि यह वृद्धि समरूप होती है, तो इसे समरूप त्वरण और यदि यह वृद्धि असमरूप होती है तो इसे परिवर्तनशील त्वरण कहा जाता है। वेग की तरह त्वरण भी एक सदिश राशि होता है।
उदाहरण- चलना शुरू करने से लेकर अपने अधिकतम वेग तक पहुँचते समय रेल की गति लगातार बढ़ती रहती है, गति की इसी वृद्धि की दर को त्वरण कहा जाता है।
मंदन
वेग में कमी या ह्रास की दर को मंदन कहा जाता है। अपने अधिकतम वेग से प्लेटफार्म पर रूकते तक रेल के वेग में लगातार कमी आती है, वेग में कमी की यह दर मंदन कहलाती है। मंदन भी सदिश राशि है। यह त्वरण के विपरीत होती है इसे नकारात्मक त्वरण भी कहा जा सकता है।
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