बल क्या होता है? | What Is Force
बल
बल एक सामान्य सा शब्द है जो हम दैनिक जीवन में कई तरह से प्रयोग करते हैं। परंतु भौतिकी की परिभाषा के अनुसार
बल वह कारक होता है, जो किसी वस्तु की विरामावस्था और समरूप गत्यावस्था में परिवर्तन लाने की क्षमता रखता हो।
बल के प्रकार
1. अभिकेन्द्री बल
वृत्ताकार पथ मे गतिशील वस्तु को केन्द्र की तरफ भागने के लिए प्रेरित करने वाला बल अभिकेन्द्री बल कहलाता है।
उदाहरण: किसी पत्थर को धागे से बांध कर घुमाने पर यह गोल-गोल परिक्रमा करने लगती है। हमारा हाथ इस पत्थर के लिए केन्द्र बिन्दु होता है। यदि आपने गौर किया होगा तो इस पत्थर को गोल-गोल घुमाने के लिए हम धागे को अपने धागे को थोड़ा खींच कर रखते हैं ताकि पत्थर केन्द्र ;हाथ के ही चारों ओर घुमे, यह बल; धागे पर खींचाव ही अभिकेन्द्री बल है जो पत्थर को अपनी ओर खींचता है।
रेल-पथ की पटरियों का बाहरी किनारा, जहां पर रेल-पथ मुड़ता है, उचा कर दिया जाता है-क्योंकि सड़क या रेल की बनावट मोड़ पर घुमावदार होती है। ऐसे स्थान पर अपकेन्द्री और अभिकेन्द्री दोनों बल कार्य करते हैं। परन्तु अपकेन्द्री बल का मान अधिक होता है जो गाड़ी को घुमावदार पथ के केन्द्र से बाहर ले जाने की कोशिश करता है। ऐसी स्थिति में गाड़ी घुमावदार पथ के केन्द्र के बाहर जाने के कारण गिर सकती है।
परन्तु, किनारा उॅचा कर देने पर, अपकेन्द्री बल और अभिकेन्द्री बल दोनों संतुलित हो जाते हैं और गाड़ी पटरी के नीचे उतरने से बच जाती है।
2. अपकेन्द्री बल
वृत्ताकार पथ में गतिशील वस्तु को केन्द्र से दूर भागने के लिए प्रेरित करने वाला बल अपकेन्द्री बल कहलाता है।
उदाहरण: उपर लिखी स्थिति में यदि पत्थर पर मात्र अभिकेन्द्री बल लगता तो यह केन्द्र की तरफ अत्यधिक आकर्षित होकर केन्द्र में समा जाता न कि उसके चारों ओर परिक्रमा करता। न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुसार हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती है जो क्रिया के विपरीत दिशा में होती है, अतः पत्थर भी स्वयं पर लगने वाले अभिकेन्द्री बल की प्रतिक्रिया स्वरूप एक बल लगाता है, जो अभिकेन्द्री बल के विरूद्ध कार्य करता है और इस पत्थर को केन्द्र मे गिरने से बचाता है, पत्थर द्वारा लगाया गया यह बल ही अपकेन्द्री बल कहलाता है, जो केन्द्र के विपरीत दिशा में कार्य करता है।
पत्थर का इस प्रकार हाथ के चारों ओर रस्सी में बंधे-बंधे परिक्रमा करना इन दोनों बलों में संतुलन की स्थिति के कारण ही संभव होता है। संतुलन बिगड़ने की स्थिति में यह परिक्रमा नहीं कर सकता अभिकेन्द्री बल का मान अधिक हो जाने पर, यह केन्द्र मे गिर जाएगा, और अपकेन्द्री बल का मान अधिक हो जाने पर यह हाथ से छूटकर दूर जा गिरेगा।
साइकिल चालक को सड़क के नुक्कड़ पर मुड़ते समय, केन्द्र की ओर झुकना पड़ता है: क्योंकि साइकिल नुक्कड़ पर घूमते समय अपकेन्द्रीबल का अनुभव करता है। यह उसे केन्द्र के बाहर ले जाने की कोशिश करता है जिसके कारण वह गिर सकता है। अतः यह अपकेन्द्रीय बल को संतुलित करने के लिए, केन्द्र की ओर झुक कर अभिकेन्द्री बल उत्पन्न करता है। दोनो बलों के संतुलित हो जाने पर वह बिना गिरे सफलता पूर्वक मोड़ को पार कर लेता है।
संसक्ति
एक ही पदार्थ के अणुओं के बीच आपसी आकर्षण बल संसक्ति कहलाता है, अर्थात् समान प्रकार के अणुओं के बीच लगने वाला बल संसक्ति बल कहलाता हैं संसक्ति बल किसी पदार्थ के अणुओं को आपस में जुड़े रहने के लिए बाधित करता है। ठोस के अणुओं के बीच ससंजन बल द्रव एवं गैसों की अपेक्षा अधिक होता है, इसलिए ठोस के अणु आपस में अधिक मजबूती से जुड़े होते हैं। गैसों में इस बल का मान सबसे कम होता है।
संसक्ति = ठोस>द्रव>गैस
आसंजन बल
एक पदार्थ के अणुओं का दूसरे पदार्थ के अणुओं के साथ आकर्षण आसंजन बल कहलाता है। उदाहरण के तौर पर पानी से भरे गिलास को उलट कर पानी निकाल देने पर हम देखते हैं कि पानी की कुछ छोटी बूंदे गिलास की दीवार पर चिपकी होती है। यह पानी के अणुओं गिलास के अणुओं के साथ आसंजन बल के कारण होता है। नहाने पर पानी की कुछ बूंदे हमारे शरीर पर चिपकी होती है, यह भी पानी और हमारे शरीर के बीच आसंजन बल के कारण होता है।
गुरूत्वाकर्षण बल
गुरूत्वाकर्षण एक दुर्बल आकर्षण बल है जो दो वस्तुओं के बीच कार्य करता है। गुरूत्वाकर्षण शब्द दो शब्दों गुरूत्व और आकर्षण से बना है। गुरूत्व को पृथ्वी द्वारा किसी वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करने वाले गुण के रूप में परिभाषित किया जाता है। दो वस्तुओं के बीच आकर्षण इसी गुरूत्व के कारण होता है, इसलिए इसलिए आकर्षण को गुरूत्वाकर्षण कहा जाता है। दो वस्तुओं के बीच लगने वाला गुरूत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमान एवं बीच की दूरी पर निर्भर करता है।
पहाड़ पर चढ़ते समय आगे की ओर झुकना पड़ता है-आगे की ओर झुकने पर शरीर का गुरूत्व केन्द्र भी आगे की ओर स्थानान्तिरित कर लिया जाता है, जिससे पहाड़ पर चढ़ने में आसानी रहती है।
FAQ
बल क्या होता है?
जहाँ बल (F) किसी वस्तु के द्रव्यमान (m) व वस्तु के त्वरण (a) के गुणनफल के बराबर होता है ।
बल कितने प्रकार?
बल के प्रकार:
• पेशी बल
• यांत्रिक बल
• घर्षण बल
• गुरुत्वाकर्षण बल
• विद्युत बल
• चुंबकीय बल
संतुलित और असंतुलित बल क्या है?
संतुलित बल से तात्पर्य उस बल से है जो वस्तु की गति की स्थिति को नहीं बदलता है। इसके विपरीत, असंतुलित बल वह है जो वस्तु की गति की स्थिति में परिवर्तन का परिणाम है। भौतिकी में, वस्तु को गति (धक्का या खींच), बल के रूप में कहा जाता है, जो किसी अन्य के साथ वस्तु की बातचीत के कारण उत्पन्न होती है।
यदि किसी वस्तु पर लगने वाले सभी बलों का परिणामी बल शून्य न हो तो वे बल असंतुलित बल कहलाते है।
सबसे कमजोर बल कौन है?
गुरुत्वाकर्षण बल सभी बलों में सबसे कमजोर हैं।
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